tag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post1159149578963678751..comments2023-05-27T03:37:55.707-07:00Comments on निठल्ले की डायरी: बाढ़-टूरिज्मiqbal abhimanyuhttp://www.blogger.com/profile/15082145353058329783noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post-45924685220656858772012-08-08T07:33:31.664-07:002012-08-08T07:33:31.664-07:00पढ़ ली । कविता में वही आया जो हो रहा है।पढ़ ली । कविता में वही आया जो हो रहा है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post-62512406623318920472012-08-07T22:22:52.805-07:002012-08-07T22:22:52.805-07:00बढ़िया है पुराने व्यंग्य याद आ गये पर ये ज्यादा तीख...बढ़िया है पुराने व्यंग्य याद आ गये पर ये ज्यादा तीखा है तडका जोरदार है बाबू.बस लगाते रहो और घिसते रहो कलम के धनी हो जाओगे तो फ़िर मत कहना .............और नरम निवेदन ये था कि एक बार चले आओ यहाँ बाढ़ पीड़ित बाट जोह रहे है तुम्हारी और वो ससूरा कनु भी आ जाएगा इस बहाने .................<br />खैर मजाक हो गया पर अच्छा है लिखते रहो बहुत प्यार और ढेर सारी शुभकामनाएं.....<br />संदीप.Sandip Naikhttps://www.blogger.com/profile/12290615598026484269noreply@blogger.com