tag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post4622644502226859322..comments2023-05-27T03:37:55.707-07:00Comments on निठल्ले की डायरी: अधर में लटकते हुए..iqbal abhimanyuhttp://www.blogger.com/profile/15082145353058329783noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post-64085016721424059552010-12-06T22:32:32.420-08:002010-12-06T22:32:32.420-08:00अपनी यह सच्चाई और साफगोई बनाये रखना दोस्त... फिलहा...अपनी यह सच्चाई और साफगोई बनाये रखना दोस्त... फिलहाल तो यही प्रभावित कर रही हैं मुझेसागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post-46750570855039716782010-09-26T07:06:00.712-07:002010-09-26T07:06:00.712-07:00"मेरे माँ बाप राजनैतिक कार्यकर्ता थे।"
ए..."मेरे माँ बाप राजनैतिक कार्यकर्ता थे।"<br />एक गलती- 'थे' नहीं है अम्मा-बाबा अभी भी कार्यकर्त्ता है.वेसे post बढ़िया है पर अब तो मन से ये दुविधा ख़त्म कर लो कि भविष्य में क्या करना है.शोभाhttps://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post-54003967776215451392010-09-25T23:51:33.298-07:002010-09-25T23:51:33.298-07:00@ Rileen: धन्यवाद@ Rileen: धन्यवादiqbal abhimanyuhttps://www.blogger.com/profile/15082145353058329783noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post-22666063966202141652010-09-25T23:48:48.766-07:002010-09-25T23:48:48.766-07:00@ राजेश भाई: दरअसल आदरणीय लिखने से पहले मैं खुद भी...@ राजेश भाई: दरअसल आदरणीय लिखने से पहले मैं खुद भी ठिठका था, लेकिन कुछ आदत ही ऐसी पड़ी हुई है. बहरहाल धन्यवाद, मुझे लगता नहीं है कि मैं कुछ बहुत पठनीय लिख पा रहा हूँ, बस भड़ास निकलने की जगह मिल गयी है.iqbal abhimanyuhttps://www.blogger.com/profile/15082145353058329783noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post-75052904780967772452010-09-25T12:01:33.824-07:002010-09-25T12:01:33.824-07:00कभी कभी अधर
ही बन जाता है घर
बढ़िया तो लिखा ही ह...कभी कभी अधर<br />ही बन जाता है घर <br /><br />बढ़िया तो लिखा ही है :-)Optimistixhttps://www.blogger.com/profile/17927346995555238063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post-54426471138968042182010-09-25T11:58:59.794-07:002010-09-25T11:58:59.794-07:00This comment has been removed by the author.Optimistixhttps://www.blogger.com/profile/17927346995555238063noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5546299749751746757.post-73646647472604303992010-09-25T05:15:10.965-07:002010-09-25T05:15:10.965-07:00बालू तुम तो सचमुच गजब का लिख रहे हो। इतने दिनों स...बालू तुम तो सचमुच गजब का लिख रहे हो। इतने दिनों से सोच रहा था कि तुम कैसे दिखते हो। जैसे ही इस पोस्ट में पढ़ा कि तुम चश्मा लगाते हो तो याद आ गया। तीन'चार साल पहले एकलव्य में तुम से मुलाकात हुई थी। वहां भी तुम किसी किताब से ही चिपके हुए थे। खैर... मुझे संबोधित करते हुए आदरणीय की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि अपन आदरणीय वैसे भी नहीं है। और सच कहूं तो कोई आदरणीय कहता है तो लगता है जैसे गाली दे रहा है। अन्यथा न लेना। <br />तुम्हारी यह पोस्ट पढ़कर मुझे अपने वे दिन याद आने लगे,जब मैं भी घर और बाहर ऐसी ही उपाधियों से नवाजा जाता था। अगर यह अहसास है कि अधर में हो तो जरूर ही जल्दी ही उबर जाओंगे। आमतौर पर लोगों को अहसास ही नहीं होता कि वे हैं कहां।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.com