गाँवों-कस्बों के लोग
इंग्लिश सुन सुन कुछ घबराते
गाँवों-कस्बों के लोग
तेल चुपड़कर बाल बनाते
गाँवों कस्बों के लोग,
हरदम गर्दन खूब घुमाते
गाँवों-कस्बों के लोग.
इधर घूरते उधर ताड़ते
सब कुछ नया नवेला पाते.
खुद को निपट अकेला पाते
दौलत पर पलकें झपकाते
गाँवों कस्बों के लोग.
दृश्य नया संसार नया है,
ये शहरी दरबार नया है,
निर्मम कारोबार नया है
इज्जत का आधार नया है,
देश नया ये भेष नया है
काले गोरे बन बैठे हैं
गोरे मन-दर-मन बैठे हैं
मॉल में जा और कॉफी पी
ढाबा है नाकाफी, पी !
हाथ हिला हिला कर बोल
यू आर वेरी गोल मटोल,
बातें हो सिंगापुर की
यूएस की शंघाई की
देश की हों भी अगर
मानो हो अजायबघर,
सुन सुनकर बहुत चकराते
गाँवों कस्बों के लोग.
बातचीत में बोलचाल में
रंग-ढंग में देखभाल में
अपना -सा कुछ न मिलने पर
अपनी हालत पर झुंझलाते
गाँवों कस्बों के लोग,
शायद यही तो नियति है
जो थोथा है -वो प्रगति है
बिक न सके जो, माल बुरा है
हम जैसों का हाल बुरा है,
अक्षम चिंताओं को ढोते
गाँवों-कस्बों के लोग,
वे जो मदमस्त हो लोटें
'मैं' की धुन में अमृत घोंटें
जिनका जीवन स्वर्णजडित है
फिर भी जो सौंदर्य रहित है
धीरे धीरे खुद को खोते
'उनके' जैसा होते होते
इक दिन खुद को कहीं न पाते
गाँवों कस्बों के लोग.
lage raho balu bhai
ReplyDeletebahut acha laga !
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