Monday 23 August 2010

गाँव में बारिश कुछ और होती है...

टप- टप, टिप- टिप.. झर झर..... खिड़की से झांकते हुए आँख बंद भी कर लूं तो आवाजें दस्तक देती रहती हैं, इस बार मानसून दिल्ली पर कुछ ज्यादा मेहरबान है. पिछले ३ सालों से तो बारिश के लिए तरसता रहता था. गाँव की बारिश याद आती थी जो एक बार शुरू होने पर कई दिनों तक सरोबार कर देती थी,स्कूल की छुट्टियाँ हो जाती थी क्योंकि खपरैल की छत वाले स्कूल के अन्दर हर कमरे में एक तालाब मौजूद होता था... और अगर ज्यादा बरसात हो तो गाँव और स्कूल के बीच की नदी चढ़ते -चढ़ते पुल के ऊपर तक आ जाती थी.... बरसात में घर से छपा-छप कर निकलना, पानी से खेलना, बरसाती कीड़ों से बचना, अन्धेरा होने से पहले खाना खा लेना.. जामुन खाने के लिए नदी किनारे जाना.. घर की टपकती हुई छत के नीचे कोई सूखे कोना तलाश कर वहाँ खटिया डाल कर सोने की कोशिश करना, और मन ही मन घबराना यह सोचकर कि अपनी मच्छरदानी मच्छरों से तो बचा सकती है लेकिन नागदेवता अगर पधार गए तो क्या होगा ? और पकौड़े तो जीवन का अभिन्न अंग होते थे... और जब बरसात खात्मे की ओर होती तो, ककड़ी(खीरा) और अपने बाड़े के भुट्टे सेंक कर खाना..साथ ही दूसरों के बाड़े से चुराना ...इस सब मज़े के साथ ही आती थी परेशानियां.. कीचड, कीचड और कीचड... स्कूल जाते समय ट्रक वाले सफ़ेद युनिफोर्म का कबाड़ा करते हुए चले जाते थे.. शाम को इतने कीड़े निकलते कि खाना खाना, पढ़ना, बैठना मुश्किल !! छत तो टपकती ही थी, साथ ही सब लकडियाँ गीली हो जाने से चूल्हा जलाना दूभर हो जाता था..खैर अपन तो ठहरे मनमौजी, ये सब चिंता माँ- पिताजी के सुपुर्द कर मस्ती करने निकल पड़ते.. तब तक कीचड में खेल-कूद जब तक माँ कान पकड़ कर वापस न ले आये....अब ना गाँव साथ है, ना ही खेत के भुट्टे, ना नदी है न स्कूल लेकिन जब भी सुनता हूँ ये टिप -टप, और देखता हूँ कि आसमान से उतारते हुए पानी ने एक झीना सा जाल फैला दिया है, जब सौंधी सौंधी गंध उठती है, जब आंधी चलती है, तो अनायास मूड अच्छा हो जाता है, ये जानते हुए कि इस बारिश में वो ताकत नहीं जो ज़िंदगी को बचपन सा बना दे..

3 comments:

  1. बचपन की यादें कभी पीछा नहीं छोडती .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!

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  2. इकबालिया बयान का विलोम हो अबयान तब तो ठीक !

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  3. अब ना गाँव साथ है, ना ही खेत के भुट्टे, ना नदी है न स्कूल ...

    Bas unki yaad hi shesh rah gayi hai.Aapne mere moonh ki baat chin li.shubhkamnayen.

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