Tuesday 24 April 2012

अकेलेपन के मायने

अकेलेपन के मायने  

अकेलेपन के मायने कई होते हैं.. 
कुछ परिचित गानों का बार बार गुनगुनाना 
कुछ राह चलते खुद से बतियाना 
कुछ ताकना जाने अनजाने चेहरों को गौर से 
कुछ नजरें चुराना कईयों से 
कुछ भीड़ में भी गुम रहना 

कुछ डूबा रहना किताबों में, किस्सों में 
खयालों में, खयाली पुलावों में
रह रह कर उमडना-घुमडना,
बरसने का इंतज़ार करना,
बेमतलब मुस्कुराना सोच सोच
अपने ही चुटकुले,

अपनी आदतों में घुसते जाना-
जैसे कछुआ ढोता है
अपने ही पलायन की गुफा
अपनी पीठ पर,

झल्लाना-झुंझलाना आईने पर,

मुद्दई और गवाह खुद होना,
खुद ही जज बन अपने मुकद्दमों
को तारीख न देना हफ्ते दर हफ्ते,
तकरीरों औ मशवरों का कूड़ेदान होना,
महफ़िलों औ मेलों का सुनसान कोना,

कान उगाना,
मुंह सिलना,

अपने अकेलेपन से कहना
कि तू अकेला ही अकेला नहीं है,
कि अकेले अकेले ही
अकल आ जाती है,
कि आजादी अकेलापन है,

खैर,
अकेलेपन के मायने भी
अकेले बैठे ही समझ आते हैं..

5 comments:

  1. दिल से लिखी गई रचना.....सच में अकेलेपन के कई मैंने होते हैं और आपने बखूबी उनका वर्णन किया है. बधाई इतनी खूबसूरत बात को इतने अच्छे भाव में पिरोने के लिए.

    ReplyDelete
  2. दिल से लिखी गई रचना.....सच में अकेलेपन के कई मैंने होते हैं और आपने बखूबी उनका वर्णन किया है. बधाई इतनी खूबसूरत बात को इतने अच्छे भाव में पिरोने के लिए.

    ReplyDelete
  3. अगर कोई अकेलेपन की परिभाषा पुछे तो मै आपके इस रचना को सुना दूगा ।

    ReplyDelete
  4. अगर कोई अकेलेपन की परिभाषा पुछे तो मै आपके इस रचना को सुना दूगा ।

    ReplyDelete
  5. अगर कोई अकेलेपन की परिभाषा पुछे तो मै आपके इस रचना को सुना दूगा ।

    ReplyDelete